mobile-adCustom Ad Block Detection
For the best experience, open
https://m.uttranews.com
on your mobile browser.
Advertisement
22 जनवरी को हुई थी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा  तो फिर 11 जनवरी को क्यों मनाई जा रही वर्षगांठ  जानिए यहां

22 जनवरी को हुई थी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, तो फिर 11 जनवरी को क्यों मनाई जा रही वर्षगांठ, जानिए यहां

01:20 PM Jan 09, 2025 IST | uttranews desk
Advertisement

भगवान श्रीराम के भव्य और दिव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को संपन्न हुई थी। यह ऐतिहासिक दिन न केवल अयोध्या बल्कि पूरे देश के लिए गौरवशाली पल था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह आयोजन हुआ, जो साढ़े पांच सौ साल के लंबे संघर्ष और प्रतीक्षा के बाद संभव हुआ था।

Advertisement bjp-ad 25


लेकिन इस बार राम मंदिर प्रबंधन द्वारा प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ 11 जनवरी 2025 को मनाने की घोषणा की गई है। जिसमें सवाल यह उठता है कि जब प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को हुई थी, तो इस बार वर्षगांठ 11 जनवरी को क्यों मनाई जा रही है?

Advertisement abhishek-joshi ad-bjp


इस भ्रम के चलते हमारी तिथियों के निर्धारण का तरीका है। सनातन धर्म में किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन की तिथि का निर्धारण हिन्दू पंचांग के अनुसार किया जाता है। प्राण प्रतिष्ठा का यह शुभ कार्य पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी यानी कूर्म द्वादशी के दिन संपन्न हुआ था।

Advertisement

बीते वर्ष की तरह तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 जनवरी को पड़ी थी। लेकिन इस वर्ष कूर्म द्वादशी की तिथि 11 जनवरी को पड़ रही है। इसलिए इस वर्षगांठ का उत्सव 11 जनवरी को ही मनाया जाएगा।

Advertisement


2024 में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर भव्य आयोजन किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इस ऐतिहासिक पूजा में मुख्य यजमान बने थे।

प्रधानमंत्री ने इस पूजा के लिए 11 दिनों का विशेष अनुष्ठान किया था और अन्न का त्याग करते हुए विभिन्न तीर्थों का भ्रमण किया था। इस आयोजन में भारत सहित दुनिया के कई देशों से राम भक्त और राजनयिक शामिल हुए थे।


राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ तीन दिनों तक मनाई जाएगी।


इस दौरान पांच प्रमुख स्थानों पर विशेष आयोजन होंगे:

यज्ञ मंडप: यहां अग्नि देवता को 1975 मंत्रों से आहुति दी जाएगी।

प्रार्थना मंडप: भगवान राम की राग सेवा होगी।

मंदिर प्रांगण: यहां बधाई गान और संगीत का आयोजन होगा।

यात्री सुविधा केंद्र: संगीतमय मानस पाठ का आयोजन किया जाएगा।

अंगद टीला: रामकथा, प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

सनातन परंपरा और आधुनिक प्रबंधन का संगम 
यह उत्सव यह दर्शाता है कि राम मंदिर केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि यह सनातन संस्कृति और आधुनिक प्रबंधन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

हिन्दू पंचांग का अनुसरण करके इस तरह के आयोजन यह संदेश देते हैं कि भारत अपनी परंपराओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण दोनों का सम्मान करता है।

Advertisement
Tags :
×