वनाग्नि प्रबंधन के लिए स्याही देवी मॉडल नाम सर्वथा उचित, वही रखा जाय, स्थानीय लोगों की मांग
अल्मोड़ा: वनाग्नि बुझाने और जंगलों को संरक्षित रखने के लिए प्रसिद्ध "शीतलाखेत मॉडल" का नाम बदलकर "स्याही देवी मॉडल" करने की मांग को लेकर स्याही देवी क्षेत्र के स्थानीय संगठनों और ग्रामीणों ने एक बैठक आयोजित की। बैठक में शीतलाखेत मॉडल की जगह स्याही देवी मॉडल को मान्यता देने की अपील की गई।
बैठक में उपस्थित लोगों ने बताया कि साल 2003 में मां स्याही देवी को साक्षी मानते हुए जंगल बचाने और चौड़ी पत्ती के पेड़ लगाने का संकल्प लिया गया था। तब से स्याही देवी क्षेत्र के 55 गांवों के लोग प्रशासन और वन विभाग के साथ मिलकर जंगलों की आग बुझाने और वनों को हरा-भरा रखने का काम कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने कहा कि सरकार द्वारा पहले इसे "स्याही देवी मॉडल" के रूप में मान्यता दी गई थी, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर "शीतलाखेत मॉडल" कर दिया गया। उन्होंने यह मांग की कि मॉडल का नाम बदलकर पुनः "स्याही देवी मॉडल" किया जाए ताकि इसका श्रेय स्थानीय ग्रामीणों और संगठनों को मिल सके।
बैठक में उपस्थित लोगों ने डीएम अल्मोड़ा को पत्र लिखकर इस संबंध में कार्रवाई करने और स्थानीय प्रयासों को उचित मान्यता देने की मांग की।
बैठक में हरीश बिष्ट, दिग्विजय सिंह, गोपाल गुरुरानी, ललित बिष्ट, हरीश रौतेला, विपिन चंद पाठक, नारायण सिंह, भगवान सिंह बिष्ट, नंदन सिंह, हिमांशु सिंह, राजेंद्र सिंह, नवीन, महेश चंद्र सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे।