अल्मोड़ा: बाहर से लाये गये बंदरों को बिनसर में आबादी क्षेत्र के निकट छोड भाग रहे लोगों को ग्रामीणों ने पकड़ लिया तथा गैर कानूनी तरीके से बंदर छोड़ने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की मांग।यहां छोड़े गये बंदरों को पकड़कर उनके मूल प्रभाग में छोड़ने तथा बंदर पकड़ने वाली इस टीम को भविष्य में बंदर पकड़ने का कार्य न दिये जाने का आवश्वासन वन विभाग द्वारा दिये जाने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।ग्रामीणों ने कहा कि देर शाम ग्रामीणों को सूचना मिली कि बंदरों से भरा वाहन वाहन संख्या UK-02-CA-1708 कपडखान से ताकुला की तरफ आ रहा है। वाहन के बसौली पहुंचने पर जब ग्रामीणों ने वाहन को रोकना चाहा तो वह भागने लगा। किसी तरह वाहन रूकवाकर ग्रामीणों ने उसके भीतर देखा तो उसमें बंदर नहीं थे। वाहन में चालक बागेश्वर निवासी दीपक बिष्ट के साथ बंदर पकड़ने वाले मथुरा निवासी नौशाद तथा चांद थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि बागेश्वर जनपद में वन विभाग द्वारा बंदर पकड़ने का कार्य किया जा रहा है। कपकोट क्षेत्र से 78 बंदर पकड़कर वे उन्हें बंध्याकरण हेतु रैस्क्यू सेंटर रानीबाग ले गये थे। पकडे गये बंदरों को रानीबाग छोड़ वहां से बंध्याकरण किये गये 78 अन्य बंदरों को वे कपकोट में छोड़ने लाये थे, जिन्हें उन्होंने बसौली के पास पाटियाखाली व चुराड़ी के बीच छोड़ दिया। इससे ग्रामीण आकोषित हो गये। उनका कहना था कि अभयारण्य क्षेत्र होने के कारण समय समय पर बाहर से जंगली जानवरों को लाकर गैर कानूनी तरीके से यहां छोड़ा जाता रहा है, जिससे ग्रामीणों का जीवन दूभर हो गया है। सूचना मिलने पर सब इंस्पेक्टर रमेश कुमार अन्य पुलिस कर्मियों के साथ घटना स्थल पर पहुंच गये। ग्रामीण वाहन को सीज करने तथा बंदर छोड़ने वालों को गिरफ्तार करने की मांग करने लगे। घटना की सूचना बिनसर अभयारण्य प्रशासन व वन विभाग बागेश्वर को दी गयी। वन क्षेत्राधिकारी कपकोट एन.डी.पांडे द्वारा यहां छोड़े गये बंदरों को पकड़ने के लिखित आश्वासन के बाद कहीं जाकर ग्रामीणों ने वाहन तथा उसमें सवार लोगों को जाने दिया। यहा उल्लेखनीय है कि वाहन चालक के पास पकड़े गये बंदरों को रैस्क्यू सेंटर रानीबाग ले जाने का वन क्षेत्राधिकारी का पत्र तो था लेकिन बंध्याकरण किये गये बंदरों को रानीबाग से वागेश्वर लाने का कोई दस्तावेज उनके पास नहीं था।सामाजिक कार्यकर्ता ईश्वर जोशी ने कहा कि इस घटना ने वन विभाग की बंदर पकड़ने की प्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिये है। उन्होंने कहा नियमानुसार जितने बंदर जिस क्षेत्र से पकड़े गये हैं, बंध्याकरण के बाद वन विभाग की देखरेख में उसी क्षेत्र में छोड़े जाने चाहिए। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह कार्य बंदर पकड़ने वालों के ऊपर छोड़ दिया गया है। उन्होंने आशंका जताई कि बंध्याकरण हेतु पहाड़ से पकड़े गये बंदरो से कहीं ज्यादा बंदर बाहर से लाकर छोड़े जा रहे हैं। कहा कि बंध्याकरण किये गये बंदरों की पहचान स्थानीय वनाधिकारियों के पास न होने के कारण बंदर पकड़ने हेतु समय समय पर चलाये जाने वाले अभियानों में बंध्याकरण किये गये बंदरों के बार बार पकडे।जाने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। इससे धन का दुरूपयोग होता है। उन्होंने कहा अभयारण्य क्षेत्र में वन विभाग की अनुमति के बिना किसी भी जंगली जानवर छोड़ना गंभीर अपराध है। ऐसे में बिनसर अभयारण्य प्रशासन को चाहिए कि इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करे।इस अवसर पर व्यापार मंडल बसोली के अध्यक्ष कन्नू पांडे, कोषाध्यक्ष योगेश भाकुनी, पंकज भाकुनी, सामाजिक कार्यकर्ता ईश्वर जोशी, सुनील बाराकोटी, रमेश सिंह, दीप नारायण भाकुनी, पूरन सिंह, प्रकाश सिंह, पुष्कर सिंह, शंकर सिंह, महेश नेगी सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे।