महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले से एक दिल को झकझोर देने वाली खबर सामने आई है, यहां सही समय पर इलाज नहीं मिलने से दो बच्चों की मौत हो गई।बच्चों के माता-पिता कीचड़ भरे जंगल के रास्ते 15 किलोमीटर पैदल चलकर किसी तरह से अपने बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंचे थे। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने दोनों बच्चों को चेक किया और इसके बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। दोनों बच्चों की उम्र महज 10 साल से भी कम थी।जानकारी के अनुसार एंबुलेंस ना मिलने के कारण दंपत्ति बच्चों के शवों को अपने-अपने कंधे पर रखकर कीचड़ भरे जंगल के रास्ते से 15 किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुंचे थे। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने साझा किया। साथ ही, वाडेट्टीवार ने लिखा, 'दोनों भाई-बहन बुखार से पीड़ित थे, लेकिन उन्हें समय पर इलाज नहीं मिला। कुछ घंटों के भीतर उनकी हालत बिगड़ गई और अगले एक घंटे में ही दोनों लड़कों ने दम तोड़ दिया।'इतना ही नहीं, उन्होंने कहा, 'शवों को उनके गांव पट्टीगांव तक ले जाने के लिए भी कोई एंबुलेंस नहीं मिली और माता-पिता को बारिश से भीगे कीचड़ भरे रास्ते से 15 किलोमीटर पैदल चलने के लिए मजबूर होना पड़ा। गढ़चिरौली की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की एक गंभीर सच्चाई आज फिर सामने आई है।'बता दें कि यह मामला एमपी के गढ़चिरौली के पत्तीगांव का है। दोनों बच्चों का नाम बाजीराव और दिनेश हैं। चार सितंबर को बाजीराव को बुखार आय़ा था। इसके बाद दिनेश को भी बुखार आ गया । बच्चों के माता-पिता उन्हें इलाज के लिए एक पुजारी के पास ले गए।पुजारी के इलाज से दोनों बच्चों की हालत बिगड़ने लगी। जिसके बाद माता-पिता दोनों को अस्पताल लेकर पहुंचे। लेकिन, जहां पर डॉक्टरों ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया। ऐसा बताया जा रहा है कि पत्तीगांव से जिमलगट्टा स्वास्थ्य केंद्र तक कोई पक्की सड़क नहीं है।जिमलगट्टा स्वास्थ्य केंद्र में एंबुलेंस उपलब्ध न होने के कारण दंपत्ति बच्चों के शवों को अपने-अपने कंधे पर रखकर कीचड़ भरे जंगल के रास्ते से 15 किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुंचे। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि देचलीपेठा से एंबुलेंस को बुलाने की तैयारी की गई। लेकिन, दोनों बच्चों को खो चुके दंपत्ति ने मदद लेने से मना कर दिया।